दो जवान बेटों की लाश को कंधा देने के बाद पिता की भी हुई मौत।
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| सांकेतिक चित्र |
दो जवान बेटों की लाश को कंधा देने के बाद पिता की भी हुई मौत।
ग्रामीणों का कहना है कि अतर सिंह के परिवार में एक बेटा बचा है और अब उसके कंधों पर ही पूरे परिवार को जिम्मेदारी है। गांव में ही मिथलेश नाम की महिला की भी मौत हो गई। वह भी लंबे समय से ग्रेटर नोयडा में भर्ती थीं।
जलालपुर गांव निवासी रविंद्र भाटी ने बताया कि अतर सिंह के तीन बेटे थे। 9 मई को दो बेटों की एक-एक घंटे के अंतराल में मौत हो गई थी। सबसे पहले बेटे पंकज (24) की 9 मई को अचानक मौत हो गई। गांव वालों के साथ बेटे को मुखाग्नि देकर अतर सिंह घर पहुंचे ही थे की दुसरे बेटे दीपक (28) की मौत हो गई। उनका कहना है दोनों बेटों की मौत कोरोना से ही हुई थी क्योंकि उनमें उसके ही लक्षण थे।
28 अप्रैल से गांव में मौत का तांडव शुरू हुआ था जो अभी भी जारी है। दो बेटों की मौत के बाद पिता अतर सिंह सदमे में चले गए। बेटों की मौत के कुछ दिन बाद उनको भी कोरोना हो गया। अतर सिंह को इलाज के लिए ग्रेटर नोयडा वेस्ट के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। रात में तबीयत अचानक ज्यादा बिगड़ गई वहां पर उन्होंने कुछ देर बाद दम तोड़ दिया।
उन्होंने बताया कि कुछ दिनों में ही इसी तरह गांव में ऋषि नागर, राजीव नागर, नंदू, राधेश्याम, हनीस, असगरी, लेखराज, चरण सिंह, लीलावती, सरोज, अतुल, अंगुरी, दयावती, मिथलेस की मौत हो गई।
गांववालों का कहना है कि इस तरह गांव में इतनी मौतें ही रही हैं लेकिन जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। केवल एक दिन कोरोना जांच कैंप लगाया। सैनिटाइजेशन भी हमने खुद करवाया। ग्रेटर नोयडा वेस्ट में 500 बेड का हॉस्पिटल बनवाने की मांग की है। गांव में घर-घर वैक्सीनेशन कराने की मांग भी कर चुके हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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