समांतर ब्रह्माण्ड: एक घटना, एक समय पर, हो अलग अलग जगह हो सकती है घटित?
समांतर ब्रह्माण्ड की तलाश में वैज्ञानिकों की खोज है जारी, एक समय में किसी कण के दो अलग अलग जगहों पर मौजूदगी को लेकर चल रहें हैं रिसर्च!
साधारणतया, समांतर ब्रह्माण्ड की आधरणा आपने एलियन आधारित सिनेमा या साइंस फिक्शन (Science fiction) फिल्मों में पाया होगा। कई बार यह माना गया है कि हम जिस ब्रह्माण्ड में रहते हैं, ठीक वैसा ही एक और ब्रह्माण्ड मौजूद है। यहां बिल्कुल पृथ्वी की तरह आपकी और हमारी मौजूदगी विद्यमान हो सकती है। ज्यादातर वैज्ञानिक समानांतर ब्रह्माण्ड के बात को नकारते हैं। लेकिन कई हैं जो इस सिद्धांत को मानते हैं एवं इसपर शोध कर रहे हैं। इसी क्रम में 2012 में दो क्वांटम भौतिक वैज्ञानिकों डॉ. एस हरोचे और डॉ. डी वाइनलैंड को नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था। इन्होंने बताया था कि कोई एक कण एक समय में दो अलग अलग जगहों पर मौजूद रह सकता है। अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि यहाँ कई पृथ्वी जैसे ग्रह मिले हैं। कई खगोल वैज्ञानिक इस बात पर शोध कर रहे हैं कि इन ग्रहों पर जीवन है या नहीं या फिर जीवन होने की कितनी सम्भावना है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि अंतरिक्ष में अनगिनत ब्रह्माण्ड हैं जहाँ अंगिनतों तारे, सौर मंडल, ग्रह आदि मौजूद हैं। उसी के हिसाब से यह अनुमान लगाया गया कि जैसे पृथ्वी पर हालात हैं और घटनाएं घटित होती हैं, उसी प्रकार सामानांतर ब्रह्माण्ड में किसी अन्य ग्रह पर इसी प्रकार की घटना हो रही होगी।
समानांतर ब्रह्माण्ड का सिद्धांत !
हम सब यह बात जानते हैं कि 13.7 बिलियन साल पहले ब्रह्माण्ड का एक छोटे से बिंदु से शुरू हुआ था। बिग बैंग थ्योरी के अनुसार गुरुत्वाकर्षण कर दबाव के कारण यह बिंदु बढ़ता गया एवं तीन आयामी भाग में फैलता गया – जिस रूप में आज ब्रह्माण्ड विद्यमान है। फिर तारों, आकाशगंगाओं, ग्रहों आदि का निर्माण हुआ। इसी के आधार पर यह प्रश्न उठता है कि क्या हम लोग अंतरिक्ष में अकेले हैं? हमारे पास आज कि जो तकनिकी है, उसके आधार पर यह सब खोज कर पाना बहुत मुश्किल है। कई खगोल वैज्ञानिक आज भी इस शोध में लगे हुए हैं कि किस प्रकार परजीवी ग्रह के प्राणियों से संपर्क साधा जाये। वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि प्रकाश की तीव्र गति होने के कारण हम एक सीमा के अनुसार ही चीजें देख पाते हैं, अतः ज्यादातर चीजें हमारे दृश्य से परे है।
समानांतर ब्रह्माण्ड का इतिहास!
जब 13.7 अरब साल पहले बिग बैंग घटना हुई थी, ठीक उसी समय से प्रकाश का प्रवाहन शुरू हुआ, अतः 13.7 अरब प्रकाश वर्ष के बाद क्या है – इसके बारे में कोई नहीं जानता। अंतरिक्ष के जिस भाग के बारे में कोई जानकारी नहीं है उसको हब्बल वॉल्यूम (hubble volume) कहा गया है और इस भाग पर शोध चालू है।
ऐसा माना जाता है कि सारे ब्रह्माण्ड एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कुछ टूट कर नए ब्रह्माण्ड बन गए या फिर कभी दो ब्रह्माण्ड के टकराव से एक नया ब्रह्माण्ड बन गया। इसी आधार पर हो सकता है कि कहीं दूसरे ब्रह्माण्ड में किसी दूसरे ग्रह पर पृथ्वी के सामान घटना घट रही हो। दिवंगत भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने सामानांतर ब्रह्माण्ड के बात को स्वीकारा था। मृत्यु से पहले जो उनका रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ था, वह इसी विषय पर था। इसके बारे में उन्होंने कहा था कि हम इस अंतरिक्ष में इस अनोखे ब्रह्माण्ड के अंतर्गत अकेले नहीं हैं। आगे चलकर इस बात की पुष्टि हो जायगी कि हमारे सामान कई ब्रह्माण्ड विराजमान है।
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