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न्याय के लिए अधिकारियों के दफ्तर चक्कर लगाती रह गई रानी, नही मिला न्याय, शादी करके फरार है पति।

शहर के कोतवाली जौनपुर में कांस्टेबल पद पर तैनात एक पुलिसकर्मी पर महिला ने लगाया शादी करके भाग जाने का आरोप, पुलिस के लापरवाह रवैए से नही मिल पा रहा है, पीड़िता को इंसाफ।

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फाइल फोटो: पीड़िता निकहत फातिमा उर्फ रानी
          

न्याय के लिए अधिकारियों के दफ्तर चक्कर लगाती रह गई रानी, नही मिला न्याय, शादी करके फरार है पति।


जौनपुर: देर से न्याय मिलना, अन्याय के समान होता है। भले ही प्रशासन और सूबे की सरकार प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर बड़े बड़े दावे क्यों न करती हो लेकिन जमीनी स्तर पर ये सभी वायदे खोखले ही जान पड़ते हैं। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से प्रकाश में आया है। 


यहां जौनपुर शहर की रहने वाली निकहत फातिमा उर्फ रानी ने विगत कुछ वर्ष पहले जनपद चंदौली निवासी आसिम अख्तर खान नाम के कोतवाली जौनपुर में तैनात एक कांस्टेबल से प्रेम विवाह किया था। शादी के कुछ वर्ष बाद आसिम अख्तर खान अपनी पत्नी रानी को छोड़कर अपने गृह जनपद चला गया। 


जहां पर एक मार्ग दुर्घटना में उसके घायल होने की खबर पत्नी को मिली। जिसके बाद जब वो अपने पति से मिलने ससुराल गई तो वहां पर इनके साथ ससुरालीजनों ने मारपीट करके वहां से भगा दिया। इसी क्रम में पीड़िता को बाद में पता चला कि उसके पति ने धोखे से दूसरी शादी कर ली है तब उसने स्थानीय प्रशासन को अनेकों बार प्रार्थना पत्र दिए लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई। 


पीड़िता ने विभाग के उच्चाधिकारियों के समक्ष अपनी समस्या रखी लेकिन महज एक सांत्वना के अलावा कुछ नही मिला। पीड़िता बताती हैं कि मामला विभागीय होने के कारण पुलिस आरोपी का बचाव करती नजर आती है और बिना कोई कार्यवाही किए उन्हें यह जानकारी दी जाती है कि उनके पति की यादाश्त चली गई है, यादाश्त वापस आने बाद ही कोई कार्यवाही होगी। 


रानी जैसे अनेकों लोग आज भी कानून के पैरोकारों और इसके संरक्षकों की लचर कार्यप्रणाली के शिकार होते हैं। सरकारी दावों के सतही तौर पर क्रियान्वित होने में ये ही लोग बाधा बनते हैं और बदनामी सरकार की होती है। प्रश्न यह है कि अगले वर्ष उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में तमाम राजनैतिक पार्टियों के लिए महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था बेशक एक मुद्दा होगा, लेकिन यह समस्या केवल एक राजनैतिक मुद्दा ही बनकर रह जाती है। 


कानून व्यवस्था में एक उच्चतम स्तर के सुधार की आवश्यकता है, जो काफी हद तक अभी प्रदेश से गायब है। ऐसी छींट फुट घटनाएं जिनके लिए समाज में एक व्यापक विमर्श की आवश्यकता होती है, के तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता लेकिन फिर भी सरकार के आंकड़े तैयार होंगे जो वास्तव में कितने सही हैं इसका कोई अनुमान नहीं होता।

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