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हाथरस गैंगरेप: सीबीआई ने आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या-गैंगरेप व SC-ST एक्ट में केस दर्ज कर जांच शुरू की।

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हाथरस गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार करते पुलिसकर्मी. (फोटो: PTI)

हाथरस गैंगरेप: सीबीआई ने आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या-गैंगरेप व SC-ST एक्ट में केस दर्ज कर जांच शुरू की।


उत्तर प्रदेश: बीते शनिवार को केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के हाथरस में 14 सितंबर को एक 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और बाद में उसकी मौत के मामले की जांच सीबीआई (CBI) को सौंपे जाने की अधिसूचना जारी किए जाने के एक दिन बाद रविवार को सीबीआई (CBI) ने घटना की जांच अपने हाथ में ले ली है और इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर ली है।


अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने रविवार सुबह भारतीय दंड संहिता की सामूहिक बलात्कार और हत्या से संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। इससे पहले मृतक युवती के भाई की शिकायत पर हाथरस जिले के चंदपा थाने में इस घटना के संबंध में मामला दर्ज किया गया था।


सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ ने कहा, ‘शिकायतकर्ता ने 14 सितंबर को आरोप लगाया था कि आरोपियों ने बाजरे के खेत में उसकी बहन का गला घोंटने की कोशिश की। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर और उसके बाद भारत सरकार की अधिसूचना के बाद सीबीआई ने इस संबंध में मामला दर्ज किया है।’ उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए एजेंसी ने एक दल का गठन किया है।


बता दें कि युवती की मौत के बाद कथित तौर पर परिवार की सहमति के बिना जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर राज्य सरकार को नोटिस जारी किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते 3 अक्टूबर को मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की सिफारिश की थी।


बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राजद्रोह और आपराधिक साजिश जैसे आरोप लगाते हुए 21 एफआईआर दर्ज की है और आरोप लगाया है कि मामले में झूठी खबरें फैलाते हुए जाति समूहों में दुश्मनी बढ़ाने और दंगा भड़काने की कोशिश की जा रही है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस के चंदपा थाने में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करते हुए दावा किया है कि इस मामले को लेकर उन्हें जाति आधारित दंगे भड़काने वाले एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का पता चला है।


इस बीच पुलिस ने हाथरस जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दिकी कप्पन सहित तीन अन्य लोगों को रास्ते में गिरफ्तार कर लिया था और कहा था कि वे पीएफआई के सदस्य हैं। उन चारों पर राजद्रोह और यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है।


आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ कथित बलात्कार किया था। जिसके बाद पीडिता को अलीगढ़ के एक अस्पताल में इलाज के बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 29 सितंबर को पीडिता ने दम तोड़ दिया था।


इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया, जिससे पुलिस ने इनकार किया था।


युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है।


राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उत्तर प्रदेश पुलिस से जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर जवाब मांगा था।


मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस की घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की थी। एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लापरवाही और ढिलाई बरतने के आरोप में दो अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी (सर्किल ऑफिसर) राम शब्‍द, इंस्पेक्टर दिनेश मीणा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया गया था।


जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी।


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