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सैकड़ों कोरोना मरीज़ों को अस्पताल पहुंचा चुके एंबुलेंस ड्राइवर की संक्रमण से मौत।

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सांकेतिक चित्र

सैकड़ों कोरोना मरीज़ों को अस्पताल पहुंचा चुके एंबुलेंस ड्राइवर की संक्रमण से मौत।


नई दिल्लीः कोरोना महामारी के दौरान लगभग छह महीने से घर से दूर रहकर संक्रमित मरीजों को अस्पताल पहुंचाने से लेकर शवों के अंतिम संस्कार तक में मदद कर रहे एंबुलेंस ड्राइवर की शनिवार को इस संक्रामक बीमारी से मौत हो गई।


एक रिपोर्ट के मुताबिक, एंबुलेंस ड्राइवर आरिफ खान की शनिवार को दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में मौत हो गई।


एम्बुलेंस ड्राइवर आरिफ ने अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया और 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान पहुंचाया। कोरोना महामारी ने एक जिंदादिल वॉरियर की जान ले ली। कोरोना वायरस से संक्रमित आरिफ खान का शनिवार की सुबह निधन हो गया। उनका उपचार हिंदूराव अस्पताल में चल रहा था।


वह बीते छह महीने से घर से दूर रहकर पार्किंग क्षेत्र में एंबुलेंस में ही सो रहे थे। और 24 घंटे सेवाएं दे रहे थे। एंबुलेंस के पार्किंग लॉट से 28 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व दिल्ली के सीलमपुर में उन्होंने किराये का मकान ले रखा था। उनके परिवार में पत्नी और चार बच्चे हैं।


48 वर्षीय आरिफ शहीद भगत सिंह सेवा दल के एंबुलेंस ड्राइवर थे। यह दल दिल्ली-एनसीआर में नि:शुल्क आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराता है।


आरिफ के सहयोगियों का कहना है कि अगर किसी कोरोना मरीज की मौत होती थी और उसके परिवारवालों को अंतिम संस्‍कार के लिए रुपये की मदद होती थी तो आरिफ खान आर्थिक रूप से भी उनकी मदद करते थे।


उनके सहयोगी जितेंद्र कुमार ने बताया, ‘वह सुनिश्चित करते थे कि हर किसी को अंतिम विदाई दी जाए लेकिन उनका खुद का परिवार उन्हें आखिरी बार नहीं देख सका। उनके परिवार ने कुछ ही मिनटों के लिए दूर से उनके शव को देखा।’


बता दें कि आरिफ खान अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाले शख्स थे। उनकी मासिक आय 16,000 रुपये थी। उनके घर का मासिक किराया 9,000 रुपये है।








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