इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ कफ़ील ख़ान के ख़िलाफ़ रासुका हटाने और तुरंत रिहाई का दिया आदेश।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पिछले साल दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में 29 जनवरी को डॉ कफ़ील ख़ान को गिरफ़्तार किया गया था। और 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद कफील खान को रिहा करने के बजाय उन पर रासुका लगा दिया गया था।
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| फोटो - डॉ कफील खान |
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ कफ़ील ख़ान के ख़िलाफ़ रासुका हटाने और तुरंत रिहाई का दिया आदेश।
उत्तर प्रदेश - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को पिछले नौ महीने से उत्तर प्रदेश की जेल में बंद डॉ. कफील खान पर लगे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के आरोपों को हटाने और उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश डॉ कफील खान की मां के द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दी, जिसमें उन्होंने डॉ कफील खान को गैरकानूनी तौर पर हिरासत में रखे जाने का आरोप लगाया था।
चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह खंडपीठ ने फिलहाल मथुरा जेल में बंद कफील खान पर लगे रासुका के आरोपों को हटाने का आदेश दिया है। पीठ ने अलीगढ़ जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 13 फरवरी, 2020 को जारी हिरासत के आदेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उसकी पुष्टि को खारिज कर दिया। इसके साथ ही रासुका के तहत कफील खान की हिरासत अवधि दो बार बढ़ाने को भी हाईकोर्ट ने गैरकानूनी घोषित कर दिया है।
बतादें कि बीती 29 जनवरी को उत्तर प्रदेश के विशेष कार्य बल (STF) ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में डॉ कफील खान को मुंबई हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था, वहां डॉ कफील CAA विरोधी रैली में हिस्सा लेने गए थे।
डॉ कफील को गत 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन आदेश के तीन दिन बाद भी जेल प्रशासन ने उन्हें रिहा नहीं किया था।
उसके बाद कफील के परिजन ने अलीगढ़ की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी, अदालत ने 13 फरवरी को फिर से रिहाई आदेश जारी किया था, मगर अगली सुबह जिला प्रशासन ने कफील पर रासुका के तहत कार्यवाही कर दी थी। उसके बाद से कफील मथुरा जेल में बंद हैं।
मौजूदा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कफील की मां नुजहत परवीन ने दाखिल की थी, सबसे पहले उन्होंने इस साल मार्च में अपनी बेटे की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
हालांकि, सीजेआई एसए बोबड़े, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने यह कहते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया था कि इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही होनी चाहिए।
डॉ. कफील खान की रिहाई के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने बीते 11 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए 15 दिन की समयसीमा निर्धारित की थी, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा था कि 15 दिन में तय करें कि डॉ. कफ़ील को रिहा कर सकते हैं या नहीं।
इसके बाद 19 अगस्त को एक आदेश जारी करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रासुका के तहत डॉ कफील खान हो रही कार्रवाई के मूल दस्तावेजों की मांग की थी। इस बीच डॉ कफील खान की हिरासत अवधि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत फिर से और तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई थी।
डॉ कफील खान 2017 में उस समय सुर्खियों में आए थे जब बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत एक सप्ताह के भीतर कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से हो गई थी। इस घटना के बाद इंसेफलाइटिस वार्ड में तैनात डॉ कफील खान को मेडिकल कॉलेज से निलंबित कर दिया गया था, उन्हें इंसेफलाइटिस वार्ड में अपने कर्तव्यों का निर्वहन और एक निजी प्रैक्टिस चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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