बॉम्बे हाईकोर्ट ने तब्लीग़ी जमात से जुड़े विदेशियों के खिलाफ दर्ज FIR रद्द की, कहा बलि का बकरा बनाया गया।
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| सांकेतिक चित्र |
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस टीवी नलवडे और जस्टिस एमजी सेेवलिकर की बेंच ने तंजानिया, बेनिन, इंडोनेशिया, और अन्य देशों से भारत आए तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की याचिकाओं को सुना। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि वह वैध वीजा पर भारत आए थे। जब वह एयरपोर्ट पर पहुंचे थे तो उनकी स्क्रीनिंग की गयी थी। एवं उन लोगों का कोरोना टेस्ट भी किया गया था। कोरोना टेस्ट नेगेटिव आने पर ही उन्हें एयरपोर्ट से जाने दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से यह भी कहा कि उन्होंने अहमदनगर पहुंचने पर वहां के डीएसपी को जानकारी दी थी और 23 मार्च को अचानक से लाकडाउन होने के कारण होटल, लाज भी बंद हो गए थे जिसके कारण उन्हें मस्जिद में ही रुकने की जगह मिली। उन्होंने बताया कि वह किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं थे और ना ही उन्होंने प्रशासन के किसी भी आदेश का उल्लंघन किया।
याचिकाकर्ताओं की दलीलों को सुनते हुए अदालत ने अपने फैसले में कहा कि "एक राजनीतिक सरकार किसी महामारी आपदा के दौरान बलि का बकरा खोजती है और हालात इस बात को दिखाते हैं कि ऐसी संभावना है इन विदेशियों को बलि का बकरा बनाया गया है पहले के हालात और भारत के ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि इन लोगों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए"।
अदालत ने यह भी कहा कि हमें इस बात को लेकर पछतावा होना चाहिए और उन्हें हुए नुकसान की भरपाई के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। अदालत ने 29 विदेशियों के खिलाफ दर्ज एफआइआर को भी रद्द करने का आदेश दिया है। यह एफआइआर महाराष्ट्र पुलिस द्वारा टूरिस्ट वीजा नियमों के उल्लंघन को लेकर तबलीगी जमात में शामिल होने आये विदेशियों पर दर्ज की गई थी।
आपको बतादें की इससे पहले भी जून महीने में मद्रास हाईकोर्ट ने तब्लीग़ी जमात से जुड़े विदेशियों के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द कर दिया था और कहा था कि उन्हें बहुत कुछ सहना पड़ा है और केंद्र से अपील की थी कि वह विदेशियों द्वारा उनके देशों में भेजे जाने के अनुरोध पर विचार करे।

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