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बुलंदशहर हिंसा के मुख्य अभियुक्त को दी गयी थी सरकारी योजनाओं के प्रचार की ज़िम्मेदारी।

The accused of the Bulandshahr violence was given the responsibility of publicizing government schemes.


बुलंदशहर हिंसा के मुख्य अभियुक्त को दी गयी थी सरकारी योजनाओं के प्रचार की ज़िम्मेदारी, हिंसा में मारे गए थे पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह।

UP - साल 2018 में बुलंदशहर के स्याना में हुई हिंसा के एक अभियुक्त शिखर अग्रवाल को प्रधानमंत्री जनजागरूकता अभियान नाम की एक संस्था ने बुलंदशहर ज़िले के महामंत्री के तौर पर मनोनीत किया था।

शिखर अग्रवाल बुलंदशहर हिंसा मामले में पिछले साल गिरफ़्तार हुए थे और इस समय ज़मानत पर बाहर हैं।संस्था के ज़िला अध्यक्ष प्रियतम सिंह प्रेम की ओर से 14 जुलाई को हुए इस मनोनयन का प्रमाण पत्र दिए जाते समय बुलंदशहर बीजेपी के ज़िला अध्यक्ष अनिल सिसौदिया समेत कई अन्य नेता भी नज़र आ रहे हैं।

हालांकि बीजेपी का कहना है कि उनका न तो इस संस्था से और न ही इस मनोनयन से कोई लेना-देना है. ख़बर सामने आने के बाद पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्हें इस पद से हटा दिया गया है।

The accused of the Bulandshahr violence was given the responsibility of publicizing government schemes.


बीजेपी के ज़िला अध्यक्ष अनिल सिसौदिया से इस बारे में बात नहीं हो सकी लेकिन पार्टी के बुलंदशहर ज़िले के महामंत्री संजय गूजर कहते हैं कि यह संस्था एक एनजीओ है और पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से इसका कोई वास्ता नहीं है।

वो कहते हैं, "आपने संस्था का प्रमाण पत्र देखा होगा, उसमें न तो बीजेपा का झंडा है और न ही उसका चुनाव निशान कमल का फूल है. उस संस्था से बीजेपी का कोई-लेना देना नहीं है. उनकी अपनी इकाई है, अपना संगठन है. वो लोग स्वतंत्र हैं किसी को भी कोई पद देने के लिए."

'ऐसे लोगों की हमारे संगठन में कोई जगह नहीं'

प्रधानमंत्री जनजागरूकता अभियान संस्था के बुलंदशहर ज़िले के अध्यक्ष प्रियतम सिंह प्रेम भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि बीजेपी संगठन से उनका कोई लेना-देना नहीं है लेकिन बीजेपी के कई केंद्रीय मंत्री उनकी संस्था के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं।

इन मंत्रियों का नाम उस मनोनय पत्र पर भी लिखा हुआ है जो शिखर अग्रवाल को दिया गया है. इन मंत्रियों में रमेश पोखरियाल निशंक, नरेंद्र तोमर, धर्मेंद्र प्रधान, गिरिराज सिंह के अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू के नाम भी शामिल हैं।

बातचीत में प्रियतम सिंह कहते हैं, "हमें इसकी जानकारी नहीं थी और जैसे ही मीडिया के माध्यम से ये जानकारी मिली की शिखर अग्रवाल ज़मानत पर हैं तो हमने तुरंत कार्रवाई की है. हमने अपने संगठन के केंद्रीय लोगों को इस बारे में अवगत कराया है और उन्हें पदमुक्त करने के लिए अनुमति मांगी है. अनुमति मिलते ही उन्हें पदमुक्त कर दिया जाएगा. ऐसे लोगों को हमारे संगठन में कोई जगह नहीं है."

हालांकि शिखर अग्रवाल इस मनोनयन की वजह यह बताते हैं कि यह दायित्व उनकी छवि को देखते हुए बनाया गया है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह संस्था काम करती है और उन्हें भी यही दायित्व दिया गया है।

वो कहते हैं, "इसके बारे में हमें समझाया भी गया है कि कैसे काम करना है. गांव-गांव जाकर मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को पहुंचाना है."

माला पहनाकर किया गया था अभियुक्तों का स्वागत।

तीन दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र के चिंगरावटी गाँव में हुई हिंसा में स्याना थाने के पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह मारे गए थे।

कथित तौर पर गोकशी की घटना के बाद कुछ स्थानीय लोगों ने चिंगरावटी पुलिस चौकी पर हमला बोल दिया था और आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ भी की गई थी. इस हिंसा में कई अन्य लोग भी घायल हुए थे।

शिखर अग्रवाल और योगेश राज को इस हिंसा का मुख्य अभियुक्त बनाया गया था और बाद में इऩकी गिरफ़्तारी भी हुई थी. पिछले साल 25 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद इस मामले में कुल 33 अभियुक्तों में से सात अभियुक्तों को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था।

रिहा होने के बाद कुछ लोगों ने इन अभियुक्तों का फूल-मालाओं से स्वागत भी किया था और तब इस घटना ने भी काफ़ी सुर्ख़ियां बटोरी थीं।

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