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भारतीय सेना ने लद्दाख में उतारा अपना सबसे घातक टैंक, भारत का 'भीष्म' एलएसी पर मुस्तैद ।

भारतीय सेना ने लद्दाख में उतारा अपना सबसे घातक टैंक, भारत का 'भीष्म' एलएसी पर मुस्तैद ।


नई दिल्‍ली
। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख स्थित लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अगले कुछ दिनों में क्‍या स्थिति होगी कोई नहीं जानता है। इस बीच इंडियन आर्मी ने अपने सबसे घातक टैंक टी-90 भीष्म को लद्दाख में चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए तैनात कर दिया है। भारतीय सेना ने यह कदम जून माह के पहले हफ्ते में उठाया था और चीन की तरफ से जब एलएसी पर टी-95 टैंक्‍स को तैनात किया गया तो उसके जवाब में टी-90 टैंक्‍स एलएसी पर पहुंचे हैं। 
   
जून के पहले हफ्ते में हुई तैनाती!

टी-90 टैंक्‍स को भीष्‍म टैंक्‍स भी कहा जाता है और इन्‍हें रूस की कंपनी अवडी हैवी व्‍हीकल्‍स की तरफ से बनाया गया है। चीन के पास टी-95 टैंक्‍स हैं और उन्‍हें सर्वश्रेष्‍ठ माना जाता है। लेकिन उसके टी-95 टैंक्‍स, भारत के पास मौजूद टी-90 टैंक्‍स से क्षमता में कुछ कम ही हैं। सूत्रों के मुताबिक अगर चीन आक्रामक होता तो फिर है तो फिर टी-90 टैंक्‍स ही उसे भरपूर जवाब दे सकते हैं। पिछले वर्ष मई माह में रक्षा मंत्रालय की ओर से रूस में अपग्रेडेड टी-90 टैंक्‍स भीष्‍म टैंक्‍स को खरीदने की मंजूरी दे दी गई है। इन टैंक्‍स की कीमत करीब 13,448 करोड़ रुपए होगी। अपग्रेडेड भीष्‍म टैंक, सेना को साल 2022 से 2025 के बीच मिल जाएंगे।

रात में भी हो सकता है संचालित ।

टैंकों को विशेषज्ञ, सेना के लिए रीढ़ की हड्डी मानते हैं। यह भारत का प्रमुख कॉम्‍बेट टैंक है और इसका आर्मर्ड प्रोटेक्‍शन दुनिया में बेस्‍ट है। टी-90 टैंक बायो और केमिकल वेपन से पूरी तरह निपट सकता है। इसमें एक मिनट में आठ गोले फायर करने की ताकत है। टैंक के पास एक 125एमएम की गन है। यह करीब छह किलोमीटर की दूरी से मिसाइल तक लॉन्‍च कर सकता है। इस टैंक का वजन 48 टन है और यह दुनिया का सबसे हल्‍का टैंक है। टैंक के पास मिसाइल हमले को रोकने वाला कवच भी है। इसका इंजन 1000 हॉर्स पावर का है और यह 72 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। इस स्‍पीड पर भी यह एक बार 550 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। इसके अलावा एक एडवांस्‍ड ऑटोमेटेड डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्‍टम (एफसीएस) है। यह कंट्रोल सिस्‍टम दुश्‍मम के किसी भी टैंक और उनके दूसरे हथियारों को सेकेंड्स में खत्‍म कर सकता है। इसके अलावा टैंक का क्रू न सिर्फ दिन के समय बल्कि रात के समय भी टारगेट का पता लगा सकता है। टैंक, दुश्‍मन की पहचान करके उन्‍हें पूरी तरह से नष्‍ट कर सकता है। टैंक में दी गई एफसीएस क्षमता इस मिशन को पूरा करने में कारगर साबित होगा।

और अधिक शक्तिशाली होगी भारतीय सेना ।

अवडी हैवी व्‍हीकल फैक्‍ट्री, ऑर्डनेंस फैक्‍ट्री बोर्ड के तहत आती है। भीष्‍म टैंक, भारत और रूस के बीच 1654 टैंकों के लिए हुई एक डील आखिरी हिस्‍सा हैं। टी-90 टैंकों को विशेषज्ञ, सेना के लिए रीढ़ की हड्डी मानते हैं। एचवीएफ ने साल 2006-2007 में एक कॉन्‍ट्रैक्‍ट साइन किया था। इस डील के तहत सेना को रूस के लाइसेंस के तहत साल 2020 तक 1,000 टी-90 टैंक मिलने वाले थे। लेकिन अभी तक सिर्फ 350 से 400 टी-90 टैंक्‍स ही मिल सके हैं। 1,070 टी-90 टैंक्‍स के अलावा सेना ने रूस से 2,400 टी-72 टैंक्‍स भी खरीदे। इसके अलावा सेना के पास 124 अर्जुन टैंक्‍स भी हैं।

भारत के पास चीन से ज्‍यादा टैंक ।

भारत और चीन के बीच करीब 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी है और कई दशकों से यह तनाव का विषय बनी हुई है। इस बार लद्दाख में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी यह बात कई बार कह चुके हैं कि अब भारत की सेना के पास पूरी ताकत से चीन का जवाब देने की क्षमता है। इंडियन आर्मी के पास इस समय 4,292 टैंक्‍स हैं तो चीन की सेना के पास 3,500 टैंक्‍स हैं। हाल ही में चीन की सेना ने नए हल्‍के लड़ाकू टैंक्‍स (एलबीटी) का ट्रायल पूरा किया और इसे सेना में शामिल किया गया है। इस टैंक का ट्रायल तिब्बत में हुआ था। वहीं, अगर बात फील्‍ड आर्टिलरी की करें तो भारत के पास इसकी संख्‍या 4,060 और चीन के पास 3,600 है। भारत के पास 6,705 बख्‍तरबंद वाहन हैं। चीन के पास ऐसे वाहनों की संख्‍या सिर्फ 4,788 ही है।

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