कोरोना के बीच सोनू सूद की मदद से फिदा हुईं शिल्पा और कुबरा, जमकर की तारीफ!
कोरोना के बीच सोनू सूद की मदद से फिदा हुईं
शिल्पा और कुबरा, जमकर की तारीफ!
सोनू सूद इस समय दिन के 20-22 घंटों तक काम कर रहे हैं. वो सुबह 6 बजे लोगों को बसों में बैठकर खाना देकर उनके घर रवाना कर देते हैं. उनके इस भले काम की तारीफ हर जगह हो रही है!
प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में लगे एक्टर सोनू सूद ने देशभर का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है. सोशल मीडिया के जरिए तमाम फैन्स, आर्टिस्ट, राजनेता और यहां तक कि बॉलीवुड के स्टार्स भी उनकी सराहना करने में लगे हुए हैं. अब एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और कुबरा सैत ने सोनू सूद की तारीफ की है!
शिल्पा ने सोनू के काम की फोटो शेयर कर हुए लिखा, 'मुझे तुमपर बेहद गर्व है सोनू सूद.' तो वहीं कुबरा सैत ने लिखा, 'हमारे रियल ऐज के सुपर हीरो को ढेर सारा प्यार. बुरे समय में सोनू सूद ही ऐसे हैं जो आपको खुश कर देते हैं. सलामत रहें आप साहब. ये मेरा सौभाग्य है कि मैं बोल सकती हूं कि आपको जानती हूं!
Extremely proud of you, @SonuSood 🙏🏻🤗#leadbyexample #gratitude #hero #help pic.twitter.com/jZZ5MLOk4z
— SHILPA SHETTY KUNDRA (@TheShilpaShetty) May 30, 2020
सोनू ने ऐसे किया मजदूरों को घर भेजने का इंतजाम !
उन्होंने कहा- मुझे मजदूरों के एक्सीडेंट्स से दुख हुआ था. मैंने जब सुना कि इस जगह इतने मजदूरों की मौत हो गई और उस जगह उतने तो सोचा कि हमें इनके नाम पता होने चाहिए थे, इनकी मदद करनी चाहिए थी. तब मैंने अपनी दोस्त से बात करके उनकी हेल्प करने की कोशिश की. अलग-अलग राज्य की सरकारों से परमिशन ली और फिर लोगों को उनके घर भेजा!
सरकार से सोनू सूद ने की ये अपील!
सोनू सूद ने बताया कि वे अपनी दोस्त नीति गोयल के साथ मिलकर मजदूरों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने नीति के साथ मिलकर 10-12 लोगों की टीम बनाई है जो मजदूरों के नाम फाइल करते हैं, जिससे उनकी मदद की जा सके. सोनू इस समय दिन के 20-22 घंटों तक काम कर रहे हैं. वो सुबह 6 बजे लोगों को बसों में बैठकर खाना देकर उनके घर रवाना कर देते हैं!
सोनू ने कहा- मजदूरों का फाइलिंग का प्रोसेस बहुत लंबा है. जब तक प्रोसेस पूरा होता है तब तक मजदूर पैदल ही घर को निकल जाता है. जब एक मजदूर निकलता है तो उनके लिए परमिशन पुलिस डिपार्टमेंट से लेनी होती है. मजदूर के मेडिकल को लेकर DCP ऑफिस जाते हैं, फिर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और फिर और आगे जाते हैं. इसके बाद सब फाइनल होकर वापस आता है!
उन्होंने आगे कहा- इन मजदूरों को फॉर्म भरने पड़ते हैं, जो उन्हें नहीं आते. तो हम उनके लिए फॉर्म भरते हैं. ऐसे में मैं बस यही कहना चाहता हूं कि इस प्रोसेस को थोड़ा छोटा कर दिया जाए तो बड़ी मेहरबानी होगी. मजदूर तो घर जाएंगे ही चाहे पैदल जाएं या फिर हमारी बस में लेकिन प्रोसेस छोटा हो जाए तो आसानी हो जाएगी!
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