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अच्छे नंबर आने पर आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का सामान्य कैटेगरी में हो सकता है चयन - सुप्रीम कोर्ट

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सांकेतिक चित्र


अच्छे नंबर आने पर आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का सामान्य कैटेगरी में हो सकता है चयन - सुप्रीम कोर्ट



सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया है। इसमें कहा गया है कि अगर पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार मेधावी उम्मीदवारों के बराबर नंबर लाते हैं तो उसका एडमिशन सामान्य वर्ग के तहत होगा, जबकि आरक्षित कैटेगरी (Reserve Category) उन पिछड़े वर्ग (Backword) के उम्मीदवारों के लिए रहेगी, जो प्रवेश के लिए उतने अंक लाएंगे जितने की उस कैटेगरी में जरूरत होती है। कोर्ट ने यह फैसला स्टेट ऑफ तमिलनाडु बनाम के शोभना मामले में सुनाया है।



बतादें की जय किशन कौल, दिनेश माहेश्वरी और ऋषिकेश रॉय की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। यहां तमिलनाडु गवर्नमेंट सर्वेंट (कंडीशन ऑफ सर्विस) एक्ट, 2016 की धारा 27 (एफ) से संबंधित अपील पर सुनवाई हो रही थी। और मामले में याचिकाकर्ताओं ने पोस्ट ग्रेजुएट असिस्टेंट और फिजिकल एजुकेशन डायरेक्टर्स, ग्रेड-1 के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था।



उनका कहना था कि प्रोविजनल लिस्ट की जांच करने पर पाया गया कि मोस्ट बैकवर्ड क्लास (MBC) कोटा के तहत वर्गीकृत कुछ उम्मीदवारों को आरक्षण के बावजूद चुना गया। इन उम्मीदवारों को जनरल वैकेंसी के तहत नहीं रखा गया, लेकिन मोस्ट बैकवर्ड क्लास (MBC) कोटा में नियुक्त किया गया। 



और याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनका चयन इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि उन उम्मीदवारों का चयन जनरल कोटे की जगह MBC/DNC कोटा से हो गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी की रिक्तियों में रखा जाना था और उसके बाद आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों से बैकलॉग रिक्तियों को भरना था। इसके बाद अंत में कोटा के तहत वर्तमान रिक्तियों को समायोजित किया जाना था।



बतादें कि धारा 27 (एफ) में कहा गया है कि यदि आरक्षित सीटें किसी विशेष वर्ष में नहीं भर पाती है तो सामान्य श्रेणी में रखने की बजाय, उन सीटों को एक वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। यदि फिर से भी सीटें पूरी नहीं होती हैं तो उस साल अन्य श्रेणियों में रखा जाता है। प्रावधान में यह भी कहा गया है कि अगली भर्ती में, “पहले बैकलॉग रिक्तियों के लिए भर्ती की जाएगी और फिर सामान्य रोटेशन का पालन किया जाएगा.”
चयनित मेधावी उम्मीदवारों बैकलॉग लेना-देना नहीं



तमिलनाडु सरकार ने दलील दी थी कि धारा 27 का योग्यता के आधार पर चयन से कोई लेना-देना नहीं है और यह केवल उस चरण के आरक्षण पदों के मोड पर लागू होता है। “अलग-अलग समूहों” के लिए दो सूचियां आरक्षित रिक्तियों के लिए बनाई जानी चाहिए यानी पहले एक बैकलॉग सूची और फिर दूसरी वर्तमान सूची।



चयनित मेधावी उम्मीदवारों का सूची के इस भाग (बैकलॉग) से कोई लेना-देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 27 (एफ) में कहा गया है कि यदि आरक्षण के तहत आने वाले समुदाय के उम्मीदवारों की आवश्यक संख्या उपलब्ध नहीं है, तो वे रिक्त पद जिनके लिए वर्तमान वर्ष में चयन नहीं किया जा सका है, उन्हें बैकलॉग माना जाना चाहिए।



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