आखिर हठी कौन किसान या सरकार...
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| सांकेतिक चित्र |
आखिर हठी कौन किसान या सरकार...
सरकार का कार्यकाल कुछ मुद्दों में सकारात्मक रहा। धारा 370 हो या राम मंदिर, इतनी जटिल और सालों से दबें मुद्दों को सरकार ने बड़े आराम से सुलझाया। तो किसान संबंधित बिल को सुलझाने में इतना बिलंम्ब क्यों?
किसान आंदोलन को आज दो महीने से भी अधिक दिन हो चुके हैं। क्या सरकार किसानों का मनोबल तोड़ना चाहती है । पूरे देश की निगाह किसान बिल पर टिकी है ।यदि किसान खाली हाथ वापस लौटते हैं तो लोकतंत्र पर से इनका विश्वास टूट जायेगा।
अब तक किसान आंदोलन चार से पांच पढाव से गुजर चुका है। पहले पड़ाव मे किसान. पंजाब मे करोना के समय रेलवे ट्रेक पर बैठे थे । उसी समय सरकार को किसानो का सुध लेना चाहिए था । दूसरे पड़ाव में किसान राष्ट्रीय राजधानी का कूच करते हैं । तीसरे पड़ाव मे जा कर सरकार से बात चित का दौर सुरु हुआ . लेकिन बात चित बे नतीजा रहा।
चौथे पड़ाव में किसान संगठन...
सरकार के सामने 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकलने का आग्रह करते हैं। राजधानी के लाल किले पर उपद्रव होता है। यह उपद्रवी किसान ही थे यह जांच का विषय है। पुलिस ने अब तक 25 एफ.आई.आर. दर्ज की है जिसमें 50 से अधिक किसान नेताओं को नामजद किया है । इस एफ.आई.आर मे पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू का भी नाम शामिल हैं, ये वही व्यक्ति है जिसका फोटो प्रधानमन्त्री के साथ इंटरनेट पर वायरल है। इस उपद्रव का जिम्मेदारी कौन लेगा? सवाल तो न्यायलय पर भी उठाने लाजमी है जो किसान रैली के मामले को दिल्ली पुलिस को सौप दिया गया है।
अब इसमें देखने वाली बात यह होगी कि मिलावटी तत्व जो किसान आंदोलन में शामिल हुए थे। उनकी पूरी तरह से पहचान कब-तक हो पाती हैं। सरकार इस आंदोलन को अब दोबारा जड़ पकड़ने नहीं देना चाहेगी। किसान किसी तरह दोबारा इस आंदोलन को बचाना चाहेंगे। दोनों अपने हथियार डालना नहीं चाहते। जिसे देखते हुए कह सकते हैं की आखिर हठी कौन??

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