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सोशल मीडिया पर हंगामे के बाद तनिष्क (Tanishq) कंपनी ने हटाया विज्ञापन। विज्ञापन में मुस्लिम परिवार में एक हिंदू लड़की की गोदभराई की रस्म दिखाई गई थी।

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Tanishq के हटाये गए विज्ञापन का स्क्रीनशॉट


सोशल मीडिया पर हंगामे के बाद तनिष्क (Tanishq) कंपनी ने हटाया विज्ञापन। 


नयी दिल्ली: भारत के बड़े आभूषण ब्रैंड में शामिल तनिष्क (Tanishq) ने सोशल मीडिया त्योहारी सीजन के लिए एक विज्ञापन जारी किया था जिस पर हो रही आलोचनाओं के बाद तनिष्क (Tanishq) ने अपना विज्ञापन वापस ले लिया है।


आपको बतादें तनिष्क (Tanishq) द्वारा जारी किया गया विज्ञापन अलग-अलग समुदाय के शादीशुदा जोड़े से जुड़ा था। विज्ञापन में मुस्लिम ससुराल में एक हिंदू लड़की की गोदभराई की रस्म दिखाई गई थी। आलोचकों ने इसे 'लव जिहाद' को बढ़ावा देना वाला बताया और सोशल मिडिया पर ट्रोल करने लगे।


सोशल मीडिया पर कई हैंडल इस विज्ञापन की आलोचना कर रहे थे और कुछ ही देर में ये ट्विटर पर टॉप ट्रेंड बन गया। हालांकि कई लोगों ने इस विरोध और इससे जुड़े कई अपमानजनक पोस्ट की आलोचना भी की। लेकिन भारत देश ऐसा अधिकतर देखने को मिल ही जाता है। 


यूट्यूब पर इस विज्ञापन के डिस्क्रिप्शन में लिखा था, "उसकी शादी एक ऐसे परिवार में हुई है जो उसे अपनी बच्ची की तरह प्यार करता है. सिर्फ उसके लिए वो एक ऐसा समारोह आयोजित करते हैं, जो आमतौर पर उनके यहां नहीं होता. दो अलग-अलग धर्म, परंपराओं और संस्कृतियों का एक सुंदर संगम."


43 सेकंड का ये विज्ञापन - "एकत्वम" (यानी एकता) नाम की एक ज्वेलरी रेंज (Jewellery Range) के प्रचार-प्रसार के लिए तनिष्क (Tanishq) के सोशल मीडिया चैनलों पर पोस्ट किया गया था।


सोशल मीडिया पर आलोचकों की बढती संख्या देख पहले कंपनी ने यूट्यूब (Youtube) और फ़ेसबुक (Facebook) पर लाइक/ डिस्लाइक और कमेंट के ऑप्शन बंद किए, फिर वीडियो को हटा दिया।

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कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर इस विज्ञापन को पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा, "हिंदुत्व की बात करने वाले लोगों ने हिंदू-मुस्लिम एकता को उजागर करने वाले एक खूबसूरत विज्ञापन के बॉयकॉट की अपील की है."


"अगर उन्हें हिंदू-मुस्लिम 'एकत्वम' से इतना गुस्सा आता है, तो वो सबसे लंबे समय से चले आ रहे हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक -भारत का विरोध क्यों नहीं करते."


आपको बतादें कि इंडिया ह्यूमन डेवेलपमेंट सर्वे के मुताबिक, भारत में होने वाली कुल शादियों में सिर्फ 5 प्रतिशत दो अलग अलग जातियों के बीच होती है, दो समुदायों के बीच का आंकड़ा और भी कम है। साल 2016 में सोशल एटीट्यूड रिसर्च ऑफ़ इंडिया के एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली, मुंबई उत्तर प्रदेश और राजस्थान में ज़्यादातर लोग दो समुदायों या जातियों के लोगों के बीच शादी के ख़िलाफ़ थे। यहां तक कि ऐसे लोग ऐसी शादियों पर कानूनन रोक लगाने के पक्ष में थे।


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