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मां उठो ना मां ? कॉरोना मर्डर स्टोरी !

भूख-प्यास से बेहाल मां की स्टेशन पर ही मौत, जगाने की कोशिश करता रहा बच्चा।


मां उठो ना मां ?  कॉरोना मर्डर स्टोरी !

इस समय पूरा विश्व दहशत में हैं। जिस समय लोगों को अपने घर में रहकर सुरक्षित रहना चाहिए था उस समय कुछ प्रवासियों के किसी भी तरह अपने घर पहुंचने की जद्द ओ जहद परेशान करती है।स्टेशन पर मज़दूरों की भीड़ और लोगों से भरे बस स्टॉप, लाक डाउन की धज्जियां उड़ा रहे हैं। मगर उनकी भी मजबूरियां हैं।पेट की भूख उन्हें घर से निकलने पर मजबूर करती है।

जैसा कि हम सब जानते हैं इतने नियमों के साथ लॉक डाउन लगाने के बाद भी प्रवासी मज़दूरों द्वारा लाखों कि संख्या में पलायन कर जाना एक दुखद संकेत है।ये वही मज़दूर है जो हमारी अर्थव्यवस्था का पहिया घुमाने में लोकतंत्र के सहायक हैं।आज इस महामारी काल में अपने गांव वापस जाने पर मजबूर हैं। ऐसी महामारी में उनका काम काज ठप है और भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है।इस भूखमरी से बचने के लिए मज़दूरों का पैदल ही पलायन लगातार जारी है।

इस महामारी के समय मज़दूरों कि मृत्यु की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।कोई ट्रेन दुर्घटना में तो कोई ट्रक दुर्घटना में,तो कोई भूख से मर रहा है।ऐसे में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक महिला मज़दूर मृत पड़ी है और उसका 1.5 साल का बेटा उसके आंचल को पकड़ पकड़ कर अपनी मां को जगाने की कोशिश कर रहा है।यह स्थिति बहुत ही दयनीय है।

ऐसे समय में लगता है ट्रेनें भी आत्मनिर्भर हो गई हैं,लगातार ट्रेनों के भटकने की खबर सामने आ रही है।इसी भटकती हुई ट्रेन में कहीं अरबिना बानो नाम कि ये महिला मज़दूर घर पहुंचने की आस में बैठ जाती है।उसके दो बच्चे हैं। और पति दो साल पहले ही छोड़कर जा चुका है। अरबीना खुश है और इस उम्मीद में ट्रेन में बैठी है कि अगले 24 घंटों में वह अपने घर पहुंच जाएगी। लेकिन ट्रेन अपने रास्ते से भटक जाती है और 4 दिन तक अरबीना को भूखा ही रहना पड़ता है क्यूंकि ये मज़दूर लोग है रास्ते में कितना खरीद कर खा पाएंगे? और यही भूख अर्बिना की मौत का कारण बन जाती है।

यह वीडियो इन दिनों बहुत वायरल हो रहा है।इस पर कई बड़े लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी यादव अपने ट्वीट में इसके बारे में लिखते हैं !

"मृत महिला अरबिना ख़ातून के पति दो साल पहले उन्हें छोड़ के जा चुके है। तत्काल दोनों बच्चों के लिए हम 5 लाख की आर्थिक मदद कर रहे है ताकि वयस्क होने तक उनके नाम FD रहे। उनकी पढ़ाई का ज़िम्मा और साथ ही देखभाल करने वाले नज़दीकी पारिवारिक सदस्य को गृह ज़िला कटिहार में ही नौकरी देंगे।"

 

तेजस्वी यादव की यह सहायता उस बच्चे को एक अच्छा भविष्य दे सकती है। उनके इस सराहनीय कार्य को नमन।

आपको बताते चलें कि यह महिला महेशपुर,आजमनगर कटिहार,बिहार की रहने वाली है, जिसने अहमदाबाद से कटिहार का टिकट लिया था।

इन बच्चों की मदद के लिए और भी कई लोग सामने आए हैं। जानी मानी जर्नलिस्ट राना अय्यूब ने भी इनकी डिटेल्स मंगवाई हैं।

                                                            - निदा बानो की रिपोर्ट!

 

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