रक्षा मंत्री ने लद्दाख तनाव मामले में तीनों सेना प्रमुखों और चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के साथ की बैठक: सूत्र
भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख में तनाव देखने को मिल रहा है। इसी बीच सूत्रों के हवाले से खबर है की रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों और सीडीएस के साथ की बैठक !
भारत और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कई क्षेत्रों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि 2017 के डोकोलाम तनाव के बाद यह सबसे बड़ी सैन्य विवाद का रूप ले सकती है। रक्षा क्षेत्र में उच्च पदस्थ सैन्य सूत्रों के मुताबिक भारत ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में अपनी स्थिति मजबूत की है। इन दोनों विवादित क्षेत्रों में चीनी सेना ने अपने दो से ढाई हजार सैनिकों को तैनात किया है। चीन इस क्षेत्र में धीरे-धीरे अपने अस्थायी निर्माण को मजबूत कर रही है। ऐसी स्थिति में सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मंगलवार को तीनों सेनाओं के प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत के साथ बैठक की, इसमें लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ तनाव पर चर्चा हुई। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस बैठक में रक्षा मंत्री को चीन से लगी सीमा पर मजबूत किए जा रहे आधारभूत ढांचे की जानकारी दी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पर सड़क बनाने और आधारभूत ढांचे को मजबूत करने का काम जारी रखने का निर्देश दिया। सरकार ने कहा है कि चीन की आपत्तियों के बीच भी ढांचागत मजबूती और सड़क निर्माण का काम जारी रहे।
इस बीच, लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के बीच सेना की तीन दिनों की कमांडर कॉन्फ्रेंस बुधवार से दिल्ली में होगी। सेना के कमांडरों का सम्मेलन साल में दो बार आयोजित होता है। कोरोना वायरस की महामारी की वजह से यह कॉन्फ्रेंस अप्रैल में नहीं हो इस पाई थी। इस बार यह कॉन्फ्रेंस दो हिस्सों में होगी, पहला हिस्सा बुधवार से शुकवार तक यानी तीन दिन चलेगा। इसके बाद जून के आखिरी हफ्ते में कांफ्रेंस के दूसरा हिस्सा होगा। सेना के मुताबिक, इस कॉन्फ्रेंस का चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रही तनातनी से कोई संबंध नहीं है, यह कॉन्फ्रेंस पहले से निर्धारित थी। हालांकि पूर्वी लद्दाख में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ जारी तनाव के बीच यह मुद्दा कमांडर्स के बीच चर्चा में ज़रूर आएगा। इसके अलावा सेना कश्मीर में आतंक विरोधी अभियान की समीक्षा भी करेगी। साथ मे देश के सुरक्षा हालात का आंकलन भी इस दौरान किया जाएगा।
गौरतलब है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच फिलहाल तनाव की स्थिति है। विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थिति 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद यह सबसे बड़ी सैन्य तनातनी का रूप ले सकती है। उच्च पदस्थ सैन्य सूत्रों का कहना है कि भारत ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में अपनी स्थिति मजबूत की है। इन दोनों विवादित क्षेत्रों में चीनी सेना ने अपने दो से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती की है और वह धीरे-धीरे अस्थायी निर्माण को मजबूत कर रही है।
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